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Sunday, October 19, 2025
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उत्तराखंड: चुनाव में फिर आमने-सामने चौहान परिवार, अध्यक्ष के लिए दोनों में टक्कर या कोई तीसरा विकल्प?

देहरादून: उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों ने जहां पूरे राज्य में सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। देहरादून जिला पंचायत की एक सीट ने राजनीतिक दंगल से आगे बढ़कर एक पारिवारिक प्रतिष्ठा का रंग ले लिया है। ये मुकाबला अब केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि दो राजनीतिक घरानों-मुन्ना सिंह चौहान परिवार बनाम प्रीतम सिंह चौहान परिवार के बीच सीधी लड़ाई बन चुका है।

कोई तीसरा चेहरा भी उभरेगा!
दोनों को जिला पंचायत अध्यक्ष का अभी दावेदार माना जा रहा है। लेकिन, सवाल यह है कि क्या वाकई इन्हीं दोनों में से कोई जिला पंचायत अध्यक्ष बनेगा या फिर कोई तीसरा चेहरा भी इस रेस में शामिल होगा? हालांकि, इसको लेकर अब तक स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं है, लेकिन ऐसे समीकरण भी बन सकते हैं। उसके पीछे बड़ी वजह यह भी है कि जौनसार क्षेत्र या यूं कहें कि कि देहरादून जिले की राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो सीधे सामने ना आकर पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं। और उनको बेहतद ताकतवर भी माना जाता है। कहीं ना कहीं वो चेहरे भी अपने उम्मीदवारों को आगे कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर दांव चलेंगे।

पारिवारिक विरासतों का सीधा टकराव
देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष पद की यह सीट उत्तराखंड की राजनीति में हमेशा से खास रही है, और इसका एक मजबूत कारण है। यहां पर चौहान बनाम चौहान की परंपरागत प्रतिस्पर्धा रही है। एक ओर भाजपा नेता और विकासनगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान हैं, जो दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह, जो चकराता से छह बार विधायक रह चुके हैं, इस बार अपने बेटे अभिषेक सिंह को चुनावी मैदान में उतारकर राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

यह मुकाबला अब केवल वर्तमान राजनीति का नहीं, बल्कि भविष्य की सत्ता और प्रभाव का संकेत भी माना जा रहा है। एक तरफ अनुभवी चेहरा, दूसरी तरफ युवा, दोनों अपने-अपने तरीकों से मैदान सजाने को तैयार हैं। लेकिन, 2027 के विधानसभा चुनाव को साधने के लिए पर्दे के पीछे से भी चेहरे काम कर रहे हैं, जो बेनकाब नहीं होना चाहते, लेकिन ताकत उन्होंने भी पूरी झोंकी हुई है। इससे आने वाले दिनों समीकरण भी बदल सकते हैं।

व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की लड़ाई
इस चुनावी संघर्ष को विशुद्ध राजनीतिक जंग कहना इस बार पर्याप्त नहीं होगा। यह मुकाबला दो राजनीतिक विरासतों की प्रतिष्ठा की कसौटी बन चुका है। प्रीतम सिंह के भाई चमन सिंह पहले भी दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि मधु चौहान ने भी दो बार यह पद संभाला है। अब 2024-25 के इस चुनावी रण में, दोनों ही परिवार नई पीढ़ी या पुराने अनुभव के नाम पर जनता का समर्थन मांग रहे हैं।

चुनावी समीकरण
पंचायत स्तर पर चुनाव भले ही पार्टी चिह्न से न लड़े जाएं, लेकिन इसके पीछे की राजनीति और गठबंधन साफ दिखाई देते हैं। इस बार भी, भाजपा मधु चौहान को महिला सशक्तिकरण और विकास के मुद्दों पर जनता के सामने पेश कर रही है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने जनाधार और परिवर्तन के संदेश के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। भाजपा भले ही सत्ता में हो और इसको उसे लाभ मिल सकता है। लेकिन, बड़ी चुनौती यह है कि दो बार से लगातार जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए उनके कामों की भी जनता समीक्षा करेगी। इसको भी असर देखने को मिल सकता है। कुलमिलाकर दोनों को जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी से पहले जिला पंचायत सदस्य के रूप में चुनाव जीतकर आना होगा।

राजनीतिक तौर पर पंचायत चुनावों को भले ही छोटा चुनाव कहा जाए, लेकिन उत्तराखंड जैसे राज्य में यही चुनाव, बड़े नेताओं की जमीन तय करते हैं। देहरादून जिला पंचायत की इस सीट पर लड़ाई जितनी सियासी है, उतनी ही निजी भी। एक ओर पुरानी साख और सत्ता का अनुभव है, तो दूसरी ओर नए जोश और राजनीतिक भविष्य की नींव। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सत्ता पर इन दोनों परिवारों के अलावा किसी तीसरे विकल्प के बारे में भी बात कर रहे हैं। उनका मानना है कि कोई तीसरा विकल्प होना चाहिए, जो इनसे मुकाबला कर सहे। इसके लिए आने वाले वक्त का इंतजार करना होगा।

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