back to top
Tuesday, October 21, 2025
Homeउत्तराखंडश्री राजा रघुनाथ जी-मां भीमाकाली बदरी-केदार यात्रा: पार्ट-5: बदरीनाथ धाम को चले...

श्री राजा रघुनाथ जी-मां भीमाकाली बदरी-केदार यात्रा: पार्ट-5: बदरीनाथ धाम को चले श्री रघुनाथ जी

  • प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’

गौरीकुंड से बदरीनाथ धाम की यात्रा

16 मई से शुरू हुई श्री राजा रघुनाथ जी और मां भीमाकाली की पवित्र देव यात्रा केदारनाथ धाम से लौटकर 20 मई को वापस गौरीकुंड पहुंची। यहां श्रद्धालु अपनी-अपनी व्यवस्थाओं के अनुसार सीतापुर और रामपुर के विभिन्न होटलों में ठहरे। दिनेश रावत जी, भाभी ललिता रावत, उनकी माता जी, मैं और मेरी पत्नी संतोषी उसी होटल में लौटे, जहां हम केदारनाथ धाम जाते समय रुके थे। पहले से फोन कर कमरा बुक कर लिया था।

रात को नहाकर सभी सो गए। सुबह जल्दी उठकर हमने बदरीनाथ धाम के स्नान और दर्शन की पूरी योजना के अनुसार कपड़े और अन्य व्यवस्थाएं तैयार कर लीं। हमने निर्णय लिया कि श्री रघुनाथ जी और मां भीमाकाली के रथ के पीछे-पीछे ही चलेंगे। बदरीनाथ धाम के लिए दो रास्ते थे, एक चोपता होते हुए और दूसरा रुद्रप्रयाग से गौचर होते हुए। ज्यादातर लोग चोपता मार्ग से गए, लेकिन हम देवता के रथ के साथ चले।

oplus_0

रास्ते का आनंद और बिरही में पूजा

रास्ते में गाड़ी में भजन गाते हुए हमने यात्रा का पूरा आनंद लिया। देवता की दिन की पूजा के लिए पुलिस के हमारे साथी लक्ष्मी बिजल्वाण ने बिरही में तपोवन रिजॉर्ट में व्यवस्था की थी। यहां देवता की पूजा हुई और सभी श्रद्धालुओं ने भोजन-प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद हम श्री बदरीनाथ धाम की ओर रवाना हुए।

oplus_3

सफर लंबा था, लेकिन सड़कें अच्छी होने और पुलिस की स्कॉटिंग के कारण जाम से बचे रहे। हम तेजी से जोशीमठ पहुंचे। हालांकि, जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण सड़कें बहुत खराब थीं। बड़े गड्ढों और उबड़-खाबड़ रास्तों के कारण कम ऊंचाई वाली गाड़ियों को नुकसान का खतरा था। फिर भी, हम रात होने सुरक्षित बदरीनाथ धाम पहुंच गए।

oplus_0

बदरीनाथ धाम में व्यवस्था और दर्शन

देवता के लिए आश्रम में व्यवस्था की गई थी। हमने बस स्टेशन के सामने सतपाल महाराज जी के आश्रम में एक कमरा लिया, जो केवल एक रात के लिए था। अगले दिन भी हमें बदरीनाथ में रुकना था, लेकिन पहले दर्शन का निर्णय लिया। अलसुबह नहाकर हम मंदिर की ओर रवाना हुए। सुबह मंदिर विशेष पूजा-अनुष्ठानों के लिए आरक्षित था, इसलिए आम श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन कर पाते थे। साढ़े सात बजे के बाद गर्भगृह के दर्शन शुरू हुए। हमने पहले बाहर से दर्शन किए, फिर दिनेश भाई तर्पण के लिए ब्रह्मकपाली चले गए।

oplus_32

मैं और संतोषी मंदिर में बैठे रहे। कुछ देर बाद, जब वीआईपी और अन्य लोग दर्शन कर रहे थे, हम भी लाइन में शामिल हो गए। श्री बदरीविशाल की कृपा से हम गर्भगृह तक पहुंचे और श्री नारायण के दिव्य दर्शन किए। मन आनंद से भर गया। प्रसाद लेकर बाहर आए और मंदिर परिसर में बैठे। संतोषी के आंसू छलक पड़े, वह दर्शन से इतनी भावविभोर थीं कि आंसू रुक नहीं रहे थे। मेरी भी आंखें नम थीं। काफी देर शांतचित्त बैठने के बाद हम सामान्य हुए।

देवता के दर्शन

कुछ देर बाद श्री राजा रघुनाथ जी और मां भीमाकाली मंदिर परिसर में पहुंचे। श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग गया। देवता ने जमणाई लगाई और मंदिर में प्रवेश किया। तंग गेट और भीड़ के कारण कुछ अव्यवस्था हुई। मैं मुख्य गेट की रेलिंग फांदकर देवता की पालकी के साथ भीतर पहुंचा। भीड़ इतनी थी कि खुद को संभालना मुश्किल था। गर्भगृह के बाहर मेज के पास देव डोली पर लगे हुए फंस गया, जहां देवता की पालकी का वजन मुझ पर आ गया। किसी तरह स्थिति संभाली और देवता के बाहर निकलने के बाद हम भी बाहर आए। कुछ तस्वीरें खींचीं और बाजार की ओर चल पड़े, वहां खरीदारी की।

oplus_32

माणा गांव और भीमपुल की यात्रा

हमने तय किया था कि माणा गांव और व्यास गुफा जाएंगे। लेकिन माणा गांव में रास्ता तंग होने और पिट्ठू वालों के कारण जाम लग गया। भीमपुल और सरस्वती संगम पर भारी भीड़ थी। हमने भीमपुल के दर्शन किए और पांडवों की मूर्तियां देखीं। रास्ते में जाम के बावजूद पुलिस व्यवस्था बनाए हुए थी। श्रद्धालुओं को भी संयम बरतने की जरूरत थी।

oplus_0

रात की व्यवस्था और स्वास्थ्य चुनौतियां

वापस लौटकर हमने रात के लिए कमरा ढूंढा। नेगी जी के ढाबे के पास कमरा मिला, जहां खाने की भी व्यवस्था थी। इस बीच दिनेश भाई की तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने दवा ली और आराम किया। मैं और संतोषी गांव के लोगों से मिलने काली कमली धर्मशाला गए। वहां लेमन टी और खिचड़ी का आनंद लिया। मां-पापा के लिए प्रसाद भिजवाने की व्यवस्था श्री रणवीर सिंह रावत जी से पहले ही कर ली थी।

oplus_0

वापस लौटने पर मुझे भी बुखार महसूस हुआ। पास के मेडिकल से दवा ली। दिनेश भाई को तेज बुखार था, लेकिन उन्होंने अस्पताल जाने से मना कर दिया। रात को गाड़ी का पंक्चर ठीक कराने के लिए माणा बाइपास रोड पर गए, जहां दुकानें बंद थीं। श्री बदरीविशाल की कृपा से एक दुकानदार मिला, जिसने हवा डालने में मदद की। पैकिंग पहले ही कर ली थी, क्योंकि अगला दिन यात्रा के समापन का था।

जारी…

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments