back to top
Tuesday, October 21, 2025
Homeउत्तराखंडउत्तराखंड में पंचायतें खाली, ना चुनाव हुए ना प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा,...

उत्तराखंड में पंचायतें खाली, ना चुनाव हुए ना प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा, ये फंस रहा पेच

Dehradun : उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों में एक बार फिर से प्रशासनिक शून्यता आ गई है। प्रदेश की 7478 ग्राम, 2941 क्षेत्र और 341 जिला पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का छह महीने का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन न तो पंचायत चुनाव कराए जा सके हैं और न ही प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति हो सकी है। इस संकट की जड़ में है हरिद्वार का तकनीकी मामला, जो पंचायती राज एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया को उलझा रहा है।

ये है मामला

उत्तराखंड में पंचायती राज एक्ट के अनुसार, यदि किसी कारण से पांच साल के भीतर पंचायत चुनाव नहीं हो पाते, तो सरकार छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर सकती है। इसी व्यवस्था के तहत राज्य की त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए गए थे, जिनका कार्यकाल अब पूरा हो चुका है।

पहले भी कानूनी पेंच में उलझना पड़ा था

हालांकि, हरिद्वार को पहले ही इस नियम के कारण एक कानूनी पेंच में उलझना पड़ा था। वर्ष 2021 में हरिद्वार जिले की पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति के बाद चुनाव हुए, लेकिन तब अधिनियम में संशोधन हेतु लाया गया अध्यादेश विधानसभा में पास नहीं हो पाया। अब वही अध्यादेश फिर से लाने पर राजभवन ने उसे लौटा दिया।

राजभवन में यहां फंसा पेच

सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ के एक फैसले के अनुसार, कोई अध्यादेश एक बार लौटा दिए जाने के बाद उसी रूप में दोबारा नहीं लाया जा सकता, क्योंकि ऐसा करना संविधान के साथ धोखा होगा।

अध्यादेश दोबारा राजभवन भेजा

वर्तमान में राज्य सरकार ने अध्यादेश में संशोधन कर दोबारा राजभवन भेजा है, लेकिन फिलहाल उसकी मंजूरी नहीं मिल पाई है। जब तक यह अध्यादेश पास नहीं होता, तब तक प्रदेश की 10,760 पंचायतों में प्रशासनिक नियंत्रण अधर में लटका रहेगा। हरिद्वार की 318 पंचायतों को छोड़कर शेष सभी पंचायतें वर्तमान में रिक्त पड़ी हैं, यानी इनमें कोई चुनी हुई सरकार या प्रशासक व्यवस्था नहीं है।

पंचायतों में कार्यकाल खत्म

ग्राम पंचायतेंः 7478 (प्रशासकों का कार्यकाल 4 दिन पहले खत्म)

क्षेत्र पंचायतेंः 2941 (कार्यकाल 2 जून को खत्म)

जिला पंचायतेंः 341 (कार्यकाल 1 जून को समाप्त)

क्या कहते हैं जानकार

पंचायती राज एक्ट के जानकारों का कहना है कि इस बार सावधानीपूर्वक संशोधित अध्यादेश लाया गया है। सरकार यदि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इसे कानून में तब्दील कर दे, तो भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है। जानकारों को यह भी कहना है कि संविधान के अनुसार और पंचायती राज एक्ट के अनुसार पंचायतों को एक भी दिन खाली नहीं रखा जा सकता है।

विकासकार्यों पर पड़ेगा असर

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव टलने और प्रशासकों के कार्यकाल समाप्त होने के चलते ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है। यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही को खत्म करती है और ग्राम स्तर की योजनाओं में रुकावट डालती है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस मामले को शीघ्र समाधान की ओर ले जाए, ताकि लोकतंत्र की जड़ों तक फैली त्रिस्तरीय व्यवस्था फिर से सक्रिय हो सके।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments