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Sunday, October 19, 2025
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मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी : सीएम धामी का ऐलान, बदलेगी मसूरी की पहचान

मसूरी: 2 सितंबर को उत्तराखंड के इतिहास में एक काला दिन माना जाता है। 31 साल पहले इसी दिन, अलग राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर मसूरी में पुलिस ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें कई लोग शहीद हो गए थे। इस बलिदान को याद करने के लिए मसूरी शहीद स्थल पर हर साल श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाता है, लेकिन इस बार का कार्यक्रम केवल श्रद्धांजलि तक ही सीमित नहीं रहा। यह मुख्यमंत्री की घोषणाओं और उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के तीखे आरोपों का मंच भी बन गया।

सीएम धामी की घोषणाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि मसूरी की माल रोड का नाम बदलकर ‘आंदोलनकारी माल रोड’ रखा जाएगा। उन्होंने जोर दिया कि यह सड़क सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि उस आंदोलन की गवाह है जिसने उत्तराखंड राज्य को जन्म दिया।

मुख्यमंत्री ने शहीद बलबीर सिंह नेगी, बेलमती चौहान, हंसा धनाई, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी और मदन मोहन ममगई के परिवारों को सम्मानित किया। उन्होंने 2 सितंबर 1994 को “उत्तराखंड के इतिहास का काला दिन” बताया, जब निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाई गईं थीं। उन्होंने दोहराया कि उनकी सरकार आंदोलनकारियों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगी।

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने ये घोषणाएं भी कीं:

  • उत्तराखंड आंदोलन के अग्रणी नेता स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की जन्मशताब्दी भव्य तरीके से मनाई जाएगी।
  • मसूरी स्थित गढ़वाल सभा भवन को संस्कृति और विरासत के केंद्र के रूप में संवारा जाएगा।
  • शिफन कोर्ट में वर्षों से बेघर हुए 84 परिवारों का जल्द ही पुनर्वास किया जाएगा।
  • स्थानीय पटरी व्यापारियों के लिए वेंडर ज़ोन बनाए जाएंगे, जिससे उन्हें स्थायी जगह और सम्मानजनक आजीविका मिल सके।

मुख्यमंत्री धामी के कार्यक्रम से निकलते ही, बाहर मौजूद उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने “शहीदों के कातिलों को सज़ा दो” जैसे नारे लगाए। यूकेडी नेताओं आशीष नेगी और किरण रावत कश्यप ने आरोप लगाया कि शहीद स्थल का कार्यक्रम अब आम जनता और असली आंदोलनकारियों के लिए नहीं, बल्कि केवल वीआईपी नेताओं के लिए आरक्षित हो गया है। उन्होंने दावा किया कि कई पुराने आंदोलनकारियों को गांधी चौक पर ही रोक दिया गया, जिससे उनका अपमान हुआ।

यूकेडी नेताओं ने भाजपा पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा शहीदों को श्रद्धांजलि देती है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड आंदोलन के दौरान गोली चलाने का आदेश देने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। उनका कहना है कि यह उत्तराखंड के शहीदों का अपमान है।

यूकेडी ने 2027 के विधानसभा चुनाव में मजबूती से उतरने का ऐलान किया और दावा किया कि कांग्रेस और भाजपा मिलकर भी उन्हें नहीं रोक पाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य की भावना को केवल एक क्षेत्रीय दल ही समझ सकता है।

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