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Sunday, October 19, 2025
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उत्तराखंड: डेमोग्राफी चेंज पर CM धामी का सख्त कदम, सत्यापन के लिए गृह विभाग को ऐप बनाने के निर्देश

देहरादून: उत्तराखंड में डेमोग्राफिक बदलाव की समस्या पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाते हुए सत्यापन प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए गृह विभाग को एक विशेष ऐप विकसित करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है, जो राज्य की जनसांख्यिकीय संरचना पर असर डाल रहा है।

सीएम धामी ने गृह सचिव शैलेश बगौली को निर्देश दिए कि सत्यापन प्रक्रिया को और सख्त किया जाए, साथ ही स्थानीय पुलिस के लिए इसे आसान और त्वरित बनाया जाए। गृह विभाग ने पुलिस प्रशासन को एक ऐसा ऐप विकसित करने का जिम्मा सौंपा है, जो सत्यापन प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाएगा। इस ऐप के जरिए बाहरी लोगों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जिससे उनकी जानकारी को व्यवस्थित और सुरक्षित रखा जा सके।

पुलिस महानिरीक्षक (कुमाऊं मंडल) रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में सत्यापन प्रक्रिया ज्यादातर थानों में रजिस्टर तक सीमित है, और इसका कोई केंद्रीकृत रिकॉर्ड नहीं होता। इस ऐप के जरिए पुलिस मुख्यालय अब सभी थानों से सत्यापन संबंधी जानकारी एकत्र करेगा। सूत्रों के अनुसार, ऐप का ट्रायल चल रहा है और इस माह के अंत तक यह पूरी तरह कार्यशील हो जाएगा।

पुलिस की व्यस्तता और घुसपैठ की चुनौती: मैदानी जिलों में पुलिस की व्यस्तता के कारण सत्यापन प्रक्रिया अक्सर अभियान तक सीमित रह जाती है। हाल ही में देहरादून और हरिद्वार में चलाए गए अभियानों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी ने प्रशासन को चौंकाया था। इस ऐप के जरिए पुलिस को सत्यापन में तेजी और सटीकता मिलेगी, जिससे ऐसी घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा।

CM धामी का बयान: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारी सरकार देवभूमि की संस्कृति और पहचान को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की पृष्ठभूमि की जांच के लिए सत्यापन अनिवार्य है। हम चाहते हैं कि यह प्रक्रिया त्वरित और प्रभावी हो, इसलिए गृह विभाग को आधुनिक तकनीक का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।”

यह ऐप न केवल पुलिस प्रशासन के लिए सत्यापन को आसान बनाएगा, बल्कि बाहरी राज्यों से आए लोगों की प्रक्रिया को भी सुगम करेगा। इस पहल से उत्तराखंड में डेमोग्राफिक बदलाव की चुनौती से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है।

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