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Sunday, October 19, 2025
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ईरान-इस्राइल युद्ध की आग में कूदा अमेरिका, ट्रंप ने की तीन परमाणु ठिकानों पर बरसाए बम

वॉशिंगटन/तेहरान : ईरान और इस्राइल के बीच सुलग रही जंग की चिंगारियों में अब अमेरिका ने भी बारूद डाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की है कि अमेरिकी सेना ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान स्थित तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर सटीक हमले किए हैं। यह अमेरिका की ओर से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने की अब तक की सबसे आक्रामक कार्रवाई मानी जा रही है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपने संदेश में लिखा, “हमने फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया। सभी विमान सुरक्षित लौट चुके हैं। अब समय है शांति का। हमारे बहादुर योद्धाओं को सलाम!”

राष्ट्र को संबोधित करने के लिए ट्रंप ने रविवार रात 10 बजे का समय तय किया है। ट्रंप ने इसे “संयुक्त राज्य अमेरिका, इस्राइल और दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण” बताया।

बी-2 स्टील्थ बमवर्षक से हमला, गहराई में छिपे फोर्डो को बनाया निशाना

अमेरिकी हमलों में अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें पहले ही गुआम के एंडरसन एयरबेस पर तैनात कर दिया गया था। यह वही घातक विमान है जिसका इस्तेमाल अमेरिका ने अफगानिस्तान और इराक में भी किया था। फोर्डो परमाणु केंद्र, जो ज़मीन के 90 मीटर नीचे स्थित है, को ध्वस्त करने के लिए यही एकमात्र विकल्प था।

इस्राइल की ओर से लगातार हमले, ईरान में 430 की मौत

इधर, इस्राइल की सेना ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर लगातार हमले कर रही है। ईरान ने बताया कि अब तक 430 नागरिकों की मौत हो चुकी है और 3,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं, इस्राइल में संघर्ष शुरू होने के बाद से 24 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।

ईरान ने दी खुली चेतावनी, युद्ध के मुहाने पर दुनिया

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा है, “अगर अमेरिका ने इस युद्ध में और गहराई से हस्तक्षेप किया, तो अंजाम सबके लिए विनाशकारी होगा।” ट्रंप की यह कार्रवाई उनके 2016 और 2020 के घोषणापत्र से भी टकराती है, जिसमें उन्होंने अमेरिका को विदेशी संघर्षों से दूर रखने की बात कही थी।

विश्लेषण: क्या यह तीसरे विश्वयुद्ध की भूमिका है?

राजनयिकों और सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईरान ने पलटवार किया, तो पूरे मध्य-पूर्व में तबाही का खतरा मंडराने लगेगा। पहले से ही यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान तनाव से जूझ रही दुनिया के लिए यह तीसरा मोर्चा बन सकता है।

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