देहरादून : भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान के बाद उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) ने राज्य के 11 जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चम्पावत, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी और उत्तरकाशी में अगले 24 घंटों के भीतर भारी बारिश के चलते कम से मध्यम स्तर की बाढ़ का खतरा जताया है।
हाइड्रोमेट डिवीजन, नई दिल्ली के अनुसार, इन क्षेत्रों में जलभराव और नदियों के जलस्तर बढ़ने की संभावना है। इसको देखते हुए जिलाधिकारियों को हाई अलर्ट जारी किया गया है और निम्न निर्देश लागू करने को कहा गया है।
- आवागमन में सावधानी और आवश्यकतानुसार नियंत्रण।
- आपदा की स्थिति में तुरंत स्थलीय कार्यवाही और सूचनाओं का आदान-प्रदान।
- आपदा प्रबंधन व विभागीय नोडल अधिकारी चौबीसों घंटे अलर्ट पर।
- सड़कों के अवरुद्ध होने पर तुरंत बहाल करने की व्यवस्था।
- सभी राजस्व, पंचायत और ग्राम विकास अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में तैनात रहेंगे।
- पुलिस चौकियां, थाने और आपदा उपकरण हर समय तैयार रहेंगे।
- सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के मोबाइल/फोन चालू रहेंगे।
- बारिश के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों का आवागमन रोका जाएगा।
- संवेदनशील मार्गों पर भूस्खलन से निपटने के लिए उपकरण पहले से उपलब्ध रखे जाएंगे।
- जिला सूचना अधिकारी चेतावनी को मीडिया के माध्यम से आमजन तक पहुँचाएँगे।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें, सतर्क रहें और किसी भी आपदा की स्थिति में राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के नंबरों 0135-2710335, 0135-2710334, टोल फ्री 1070, 9058441404 और 8218867005 पर तुरंत सूचना दें।
अगले 24 घंटों के लिए फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) जोखिम का पूर्वानुमान
(14 अगस्त 2025 को सुबह 05:30 बजे तक)
अगले 24 घंटों के दौरान निम्न मौसम उप-विभागों के कुछ जलग्रहण क्षेत्रों एवं आसपास के इलाकों में कम से मध्यम स्तर का फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) जोखिम रहने की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला और सिरमौर ज़िले।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चम्पावत, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी ज़िले शामिल हैं।
अगले 24 घंटों में संभावित वर्षा के कारण, पूर्णतः संतृप्त मिट्टी और निचले क्षेत्रों में सतही जलभराव/जलमग्नता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मानचित्र में दर्शाए गए चिंता के क्षेत्रों (Area of Concern) में यह प्रभाव अधिक देखने को मिल सकता है।